Thursday, May 20, 2021

Rabindranath tagore essay in hindi

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 · Essay on Rabindranath Tagore in Hindi: हम सब राष्ट्रगान जिसे रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गए गर्व के साथ गाते हैं, जो भारत में सबसे महत्वपूर्ण पुरुषों और राष्ट्रवादियों में से एक थे। वह एक लेखक होने के साथ-साथ एक कवी भी थे और उन्हें गीतांजलि के रूप में जाना जाने वाला नोबेल पुरस्कार मिला था। उनके  · Rabindranath Tagore Essay In Hindi (रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध)  · word essay about yourself words article words essay about myself words essay in hindi words essay samples words paragraph word essay example pdf word essay topics words essay in hindi words essay in hindi essay on words in hindi Essay on words in hindi essay on words essay on words in



रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध |Essay on Rabindranath Tagore in Hindi – Myhindilekh



Rabindranath Tagore Essay विश्व साहित्य में अद्वितीय योगदान देने वाले रवीन्द्रनाथ टैगोर को एक महान कवि उपन्यासकार और साहित्य के प्रकाश स्तम्भ के रूप में याद किया जाता है. वे केवल लेखनी में ही नही वरन एक महान कवि संगीत रचयिता और एक प्रेरक शिक्षक के साथ साथ एक अनूठी शैली के चित्रकार भी थे. इसके अलावा देश व् स्वाधीनता के प्रति उनके अनूठे द्रष्टिकोण ने महात्मा गांधी जैसे नेताओं को भी सुद्रढ़ आत्मबल प्रदान किया.


सही अर्थो में वे एक ऐसे प्रकाश स्तम्भ थे जिन्होंने जिन्होंने अपने प्रकाश से विश्व को आलोकित किया. प्यार से इस बालक का नाम रवि रखा गया था. यही रवि आगे चलकर संसार में रवीन्द्रनाथ टैगोर के रूप में विख्यात हुआ. रवीन्द्रनाथ के बौधिक और काव्यात्मक विकास में उनके बड़े भाई ज्योतिरिन्द्रनाथ का बहुत प्रभाव पड़ा. वे एक कुशल स्वर सयोजक कवि नाटककार और संगीतज्ञ भी थे. स्कूली शिक्षा पद्दति से खिन्न होकर में रवीन्द्रनाथ ने स्कुल को अलविदा कह दिया.


भले ही उन्होंने rabindranath tagore essay in hindi का त्याग कर दिया मगर वे जन्म से ही शिक्षा की देवी के पुजारक रहे थे. अतः स्कुल छोड़ने के बाद इन्होंने गहन चिन्तन मनन और स्व अध्ययन पर जोर दिया.


और जीवन के इसी पड़ाव में रवीन्द्रनाथ में लेखनी का कार्य भी शुरू कर दिया. उनकी विलक्ष्ण प्रतिभा को देखते हुए सत्येन्द्रनाथ ने इन्हें डॉक्टर अन्त राम के पास मुंबई भेज दिया, डॉक्टर अनंतराम की बेटी अन्ना ने रवि को व्यवाहरिक रूप से शिक्षित करने का भार अपने उपर ले लिया.


और दौ महीने तक इन्हें अपने सानिध्य में रखा, rabindranath tagore essay in hindi. रवीन्द्रनाथ पहले अपनी पारिवारिक पत्रिका भारती के लिए लिखते थे. बाद में वे नई परिवारिक पत्रिका बालक के लिए भी शिशु गीत कविताएँ कहानियाँ नाटक और लघु उपन्यास लिखने लगे. और 10 साल के प्रवास के बाद नवम्बर को रवीन्द्रनाथ वापिस भारत लौटे, प्रवास के इन 10 सालों में उनकी लेखनी में आश्चर्यजनक परिवर्तन आ चूका था.


अब उनकी लेखनी पाठकों के अंतर्मन को झंकझोर करने लगी थी, rabindranath tagore essay in hindi. रवीन्द्रनाथ भले ही लेखन कार्य में प्रतिष्ठित हो चुके थे. मगर उनके पिताजी चाहते थे कि परिवार और उनकी परिसम्पतियों का उतरदायित्व भी पूर्ण रूप से वहन करे.


अतः पिता के निर्देश पर रवीन्द्रनाथ बीवी बच्चों के साथ सिलाइदह आ गये. यही से इन्होने विलक्षण नाटिका चित्रगंदा का स्रजन किया, जो बाद में अंग्रेजी में चित्रा के नाम से प्रकाशित हुई. इस समय उन्होंने उदार जमीदार के रूप में केवल अपनी रैयत के असहाय और निर्बल लोगों की सहायता की, बल्कि उन्हें लेखन कला के दायरे में समेटकर आलिगनबद्ध करके प्यार भी किया. इसी समय इन्होने बाल कहानी डाकपाल और rabindranath tagore essay in hindi प्रसिद्ध कहानी काबुलीवाला की रचना की.


मार्च में रवीन्द्रनाथ को बहुत तेज ज्वर हो गया अतः ये आराम के लिए सिलाइड आ गये. यही पर इन्होने गीतांजली का संस्कृत भाषा में अनुवाद किया. इस अंग्रेजी अनुवाद को इण्डिया सोसायटी ऑफ लंदन द्वारा नवम्बर में प्रकाशित किया गया था.


गीतांजली के छपते ही रवीन्द्रनाथ का नाम अंग्रेजी पत्र पत्रिकाओं में छा गया और उनकी प्रसिद्धि की खुशबु समस्त विश्व में फैलने लगी. उनके इस सम्मान से सारा भारत ख़ुशी से झूम उठा, rabindranath tagore essay in hindi. मार्च में उनकी मुलाक़ात मोहनदास करमचन्द गांधी से हुई. उस समय तक मोहनदास करमचन्द गांधी महात्मा की उपाधि तक नही पहुचे थे. इस अवसर पर टैगोर ने नोबल पुरस्कार की राशि और सभी कॉपीराइट शान्तिनिकेतन को सौप दिए.


सही मायनों में यह उनका अनूठा उपन्यास है. जिसे विश्व साहित्य समाज से अपूर्ण गौरव मिला.




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रबीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध | Essay on Rabindranath Tagore in Hindi


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